Mahila Aarakshan Bill 2023 महिला आरक्षण बिल पर काफी चर्चा के बाद बिल गुरुवार को पास हो गया। इस ऐतिहासिक जीत पर चर्चा के लिए 7:30 घंटे का समय तय किया गया था बिल के समर्थन में 215 वोट प्राप्त हुए जबकि विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा।

Mahila Aarakshan Bill- नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023
इस बिल को नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया गया, जिसमें महिलाओं को लोकसभा विधानसभा में 33% एवं एक तिहाई सीटों अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों आरक्षित और कुल सीटों में से एक तिहाई सामान्य श्रेणी के लिए आरक्षित करना शामिल किया गया, अर्जुन राम मेघवाल कानून मंत्री ने संसद में “नारी शक्ति वंदन” अधिनियम का जिक्र करते हुए कहा कि इस अधिनियम का लक्ष्य संसद और विधानसभा में महिलाओं की उपस्थिति में बढ़ोतरी करना है। परंतु भारत में विशेष रूप से परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद ही महिला आरक्षण लागू हो सकता है।
अभी महिलाओं की लोकसभा में उपस्थिति संख्या 82 है, जो की बढ़कर 181 हो जाएगी और इस प्रकार पुरुष व महिलाओं की संख्या लोकसभा में कुल 543 हो जाएगी।
इस अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं के सामाजिक सशक्तिकरण विकास व आर्थिक सशक्तिकरण से संबंधित है जबकि दुर्भाग्य यह है कि संसद में कुल 33% आरक्षण के लिए यह अधिनियम राज्यसभा में पारित होने के बाद लोकसभा पर कई सालों से लंबित पड़ा है।
Mahila Aarakshan Bill 2023- आखिर क्या है ? महिला आरक्षण विधेयक का मुद्दा-
भारत में पहली बार वर्ष 1974 में संसद में महिलाओं की कम संख्या को महत्व देते हुए महिलाओं को पंचायत और स्थानीय निकायों में सीटें आरक्षित करने का सुझाव दिया गया था।
- वर्ष 1993 में संविधान में 73वें और 74वें संशोधन के तहत नगर पालिकाओं और पंचायतों में महिलाओं के लिए कुल 33% सीटें आरक्षित करी गई। इसके पश्चात वर्ष 1996 में महिला आरक्षण विधेयक को एच०डी० देवगौड़ा सरकार ने 81वें संशोधन विधेयक के रूप में संसद ने पेश किया गया परंतु उनकी सरकार का अल्पमत में आना इस संशोधन का अंत था।
- वर्ष 1998 में अटल बिहारी वाजपेई की उपस्थिति में लोकसभा में फिर से बिल पारित किया गया परंतु गठबंधन के भारी विरोध के बाद यह लेप्स हो गया।
- वर्ष 2008 में कांग्रेस सरकार में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा और विधानसभा में 33% महिला आरक्षण से जुड़ा 108 वां संविधान संशोधन राज्यसभा में पेश किया।
- वर्ष 2010 में तमाम राजनीतिक विरोधों के बाद भी राज्यसभा में यह विधेयक पारित कर दिया गया तथा इस विधेयक को पारित करने में कांग्रेस भाजपा व अन्य वाम दलों का भी समर्थन रहा परंतु लोकसभा में 262 सीटें होने के बावजूद भी मनमोहन सिंह सरकार इसे पारित करने में असमर्थ रही।
क्या कहती है जनरल आफ इकोनॉमिक्स बिहेवियर एंड ऑर्गेनाइजेशन-
महिलाओं की राजनीति में उपस्थिति भ्रष्टाचार को कम कर सकती है एवं भारत में भी ऐसी महिलाओं की कई उदाहरण है जिन्होंने अवसर मिलने पर राजनीति में न केवल अपनी पहचान बनाई बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति अर्जित की है