Sardiya Navratri Day 8: आज नवरात्रि का आठवां दिन है जिसमें महागौरी की पूजा की जाती है-

Sardiya Navratri Day 8- आज नवरात्रि का आठवां दिन है जिसमें महागौरी की पूजा की जाती है। आठवे अध्याय में रक्तबीज के वध का वर्णन किया गया है। चंड मुंड के मारे जाने के बाद शु़भ ने अपनी संपूर्ण सेना को तैयार होने की आज्ञा दी। उदायुध नामक छियासी, असुर सेनापति तथा कंबू नामक 84 सेनापति, कोटिवीर्य नामक 50 सेनापति और धौमृकुल नाम के सौ सेनापति, कालक, दोह़ृद ,मौर्य और कालकेय यह सभी दैत्य युद्ध के लिए गए।

Sardiya Navratri Day 8- नवरात्रि का आठवां दिन (newzzadda.com)

विशाल सेना को अपनी ओर आते देखकर देवी ने अपने धनुष से पृथ्वी और आकाश के बीच का भाग गुंजा दिया ऐसे भयंकर शब्द को सुनकर राक्षसो ने देवी तथा सिह को चारों ओर से घेर लिया। इस समय दैत्य का नाश करने के लिए सभी देवताओं की शक्तियां ब्रह्मा शिव कार्तिकेय विष्णु तथा इंद्र आदि अत्यंत पराक्रम और बल में संपनन वे सभी चंडिका देवी के पास गई

जिस देवता का जैसा रूप और आभूषण थे वैसा ही रूप आभूषण व वाहन लेकर शक्तियां आई। हंस के विमान में बैठकर तथा कमंडल धारण किए हुए ब्रह्मा जी की शक्ति, वृषभ पर सवार होकर हाथ में त्रिशूल लेकर और चंद्र रेखा से विभूषित होकर शंकर जी की शक्ति महेश्वरी, मोर पर सवार होकर कार्तिकेय जी की शक्ति तथा भगवान विष्णु की शक्ति गरुड़ पर सवार होकर धनुष तथा खड़ग हाथ में लिए हुए आई।

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श्री हरि की शक्ति वाराही तथा नरसी की शक्ति भी आई। देवराज इंद्र की शक्ति इंद्री एरावत पर सवार होकर आई। इन सभी शक्तियों से घिरे हुए भगवान शंकर ने चंडिका से कहा मेरी प्रसन्नता के लिए तुम इन सब राक्षसों को मारो इसके बाद देवी के शरीर से अत्यंत उग्र रूप वाली सैकड़ो गीदडियों के समान आवाज करने वाली चंडिका प्रकट हुई।

उन्होंने शिव को दूत बनाकर शुभ और निशुंभ के पास भेजा और कहलवाया यदि जीवित रहने की इच्छा हो तो त्रिलोकी का राज्य इंद्र को दे दो और देवताओं को उनका यज्ञ भाग दे दो तुम दोनों पाताल लौट जाओ। भगवान शंकर को दूध का कार्य देने के कारण यह शिव ज्योति के नाम से विख्यात हुई। लेकिन संदेश प्रकार देती है क्रोध में देवी से युद्ध करने पहुंच गए उन्होंने अपने बनो और शक्तियों की वर्षा देवी पर करनी शुरू कर दी देवी ने उनके वनों को अपने वाहनों से काट डाला।

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ब्राह्मणी जिस तरफ दौड़ती जल छिड़क कर दैत्य को नष्ट कर देती इसी प्रकार माहेश्वरी त्रिशूल से वैष्णवी चक्र से तथा कुमारी शक्ति अपनी शक्ति द्वारा सुरों को मार रही थी इस तरह मात्र गणों द्वारा असुरों को मारते देखकर असुरों की सेवा भागने लगी जिन्हें देखकर रक्तबीज नमक रक्षा क्रोध में भरकर युद्ध के लिए आकर खड़ा हो गया उसके रक्त की जितनी भी बंदे पृथ्वी पर गिरती उसके ही सामान देते उत्पन्न हो जाता।

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जैसे-जैसे माता ने उन पर वार किया वैसे-वैसे उसकी जनसंख्या बढ़ती चली गई जिससे यह संपूर्ण जगत व्याप्त हो गया यह देखकर चंडिका ने कई से कहा हे चामुंडी अपने मुख को बड़ा करो और शास्त्र घाट से उत्पन्न हुए रक्त बिंदुओं को तुम अपने मुंह में ले लो जिससे यह देती है रक्तशील होने पर नष्ट हो जाएगा। चंडिका ने रक्त बीज पर अपने त्रिशूल से आक्रमण किया तथा निकला हुआ रक्त काली ने अपने मुंह में ले लिया जिससे रक्तबीज मर गया

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