Shardiya navratri First fast- आज नवरात्रि का पहला व्रत है। जिसमें माता शैलपुत्री की पूजा होती है और अध्याय शुरू करने से पहले कवच पढ़ा जाता है।जिसमें माता के बहुत से स्वरूपों का वर्णन किया गया है तथा हर रूप का वर्णन करते हुए उन्हें नमस्कार कर अपने लिए यश, विजय और धन आदि मांगते हैं तथा काम क्रोध जैसे शत्रुओं का नाश हो इसके लिए माता से प्रार्थना करते हैं।
Shardiya navratri First fast- शारदीय नवरात्रि का पहला व्रत- मां दुर्गा सप्तशती की कथा :
Shardiya navratri First fast- पहला अध्याय में राजा सूरथ और एक वैश्या की कहानी बताई गई है, जिसमें राजा सूरथ और वैश्य दोनों को ही अपने परिवार ने और राज्य ने लालच हेतु निकाल दिया होता है। इसके बावजूद वे दोनों अपने राज्य और परिवार के बारे में सोचते रहते हैं।
वह उनसे अत्यधिक प्रेम भी करते हैं, सब तरफ से निकल जाने के बाद वह एक आश्रम में जाकर रहने लगते हैं, जहां जाकर उन्हें महाश्री मेधा मिलते हैं और वह उन साधु से अपने इस मोह का कारण पूछते हैं कि हमारे साथ अन्याय करने के बावजूद हम उन लोगों को क्यों याद करते हैं इसका क्या कारण है?
तब साधु द्वारा माता की महिमा का वर्णन उनसे किया जाता है कि किस तरह माता ने हम सबको मोहित कर रखा है। यही कारण हम सभी इस मोह को नहीं छोड़ पाते। इसके बाद राजा और वैश्य दोनों इसकी कहानी पूर्ण रूप से अध्याय सुनते हैं।
जिसमें मधु कैटभ दो राक्षस जो विष्णु के कान के मेल से पैदा हो गए थे और ब्रह्मा जी को मारने दौड़े उसके बाद ब्रह्मा जी ने माताजी की स्तुति कर विष्णु जी को जगाने का आग्रह किया और उस प्रार्थना से प्रसन्न होकर माता विष्णु जी के कान और नाक से निकलकर बाहर आ गई और उन्होंने उन मधु कैटभ दोनों को मोह में डाल दिया।
विष्णु जी के निंद्रा से जगने के पश्चात उन्होंने उन शत्रुओं से 5000 वर्ष तक युद्ध किया। जिससे उन दोनों ने विष्णु जी से प्रसन्न होकर वर मांगने को कहा, तो विष्णु जी ने उनसे यही वर मांगा कि तुम दोनों मेरे हाथों से मर जाओ। इतना कहने पर उन दोनों ने अपनी मृत्यु के लिए ऐसा स्थान चुना जहां पानी न हो क्योंकि चारों ओर जल ही जल था।
अत उन्होंने विष्णु जी से कहा कि हमें वहां मारो जहां जल हो और विष्णु जी ने अपनी जंगा पर उन दोनों का सिर रखकर अपने चक्र से काट दिया। इस तरह वे दोनों राक्षस मारे गए। माता सप्तशती पाठ के पहले अध्याय में माता के इसी रूप का वर्णन किया गया है।
शारदीय नवरात्रि के पहले व्रत का महत्व :
Shardiya navratri First fast- शारदीय नवरात्रि आज यानी 15 अक्टूबर से शुरू हो गए हैं नवरात्रि के पहले दिन में देवी शैलपुत्री स्वरूप की उपासना की जाती है हर घर में मां की पूजन की तैयारी की जा रही है पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है पुरानी मान्यताओं के अनुसार पूर्व जन्म में शैलपुत्री का नाम सती था और यह भगवान शिव की पत्नी थी।
इस प्रकार करें मां शैलपुत्री का पूजन
मां शैलपुत्री के विग्रह या चित्र को लकड़ी के पतरे पर लाल या सफेद वस्त्र बेचकर स्थापित करें मां शैलपुत्री को सफेद वस्तु काफी प्रिया है। इसलिए मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र या सफेद फूल अर्पण करें एक सबूत पान के पत्ते पर 27 फूलदार लॉन्ग रखें जिसे बताशे में लगाकर अग्नि को चढ़ावे मां शैलपुत्री के सामने घी का दीपक जलाएं और एक सफेद आसन पर उत्तर दिशा में मुंह कर बैठे इसके पश्चात ओम शैलपुत्रय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा करने से आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी व पारिवारिक कलाएं हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।
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