Shardiya Navratri Second Day Fast- (newzzadda.com Hapur)
Shardiya Navratri Second Day Fast- नवरात्रि का दूसरा व्रत माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित है और आज के दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। इस अध्याय में महिषासुर के वध का वर्णन किया गया है। जब देवताओं तथा राक्षसों में 100 वर्षों तक युद्ध होता रहा और सभी देवता हार गए तब उन्होंने शिव के पास आकर देवताओं की रक्षा की प्रार्थना की, देवताओं की बात सुनकर विष्णु भगवान तथा शंकर जी को बहुत गुस्सा आया और उनके तेज से एक ज्योतिपुंज प्रकट हुआ। उस ज्योतिपुंज में सभी देवताओं ने अपनी अपनी शक्तियों का योगदान किया तथा सभी देवताओं के तेज से मिलकर उसे ज्योतिपुंज ने देवी का रूप लिया।
शंकर जी के तेज से उसका मुख, यमराज के तेज से सर के बाल, विष्णु के तेज से भुजाएं, चंद्रमा के तेज से दोनों स्तन, इंद्र के तेज से जंगा और पिंडली, पृथ्वी के तेज से नितिन भाग, ब्रह्मा के तेज से दोनों चरण, सूर्य के तेज से उनकी उंगलियां, विष्णु के तेज से हाथों की उंगलियां, कुबेर के तेज से नासिका, प्रजापति के तेज से दांत और अग्नि के तेज से उनके नेत्र बने, संध्या के तेज से भौंहें और वायु के तेज से उनके कान प्रकट हुए इस प्रकार देवी का प्रादुर्भाव हुआ।
उन्होंने बहुत तेज हुंकार की जिसे सुनकर महिषासुर अपनी बहुत सारी सेना लेकर उधर की ओर दौड़ा जिस तरफ से आवाज आ रही थी और उसे देवी पर वार किया लेकिन देवी ने उसके सभी शस्त्रों को अपनी शक्तियों से समाप्त कर दिया। देवी का क्रोध चारों दिशाओं में इस प्रकार बिछड़ने लगा जैसे कि वन में दावानल फैल रहा हो। युद्ध करती हुई देवी ने क्रोध में भर जितने सांसों को छोड़ा वह तुरंत ही सैकड़ो हजारों गुना गण के रूप में परिवर्तित हो गए। देवी की शक्ति से बड़े हुए गण दैत्यों का नाश करते हुए डाल शंकर व मृदंग आदि बज रहे थे।
तदनंतर देवी ने त्रिशूल गधा शक्ति खड़क इत्यादि से सहस्त्रों राक्षसों को मार डाला, कितनों को घंटे की भयंकर आवाज से ही यमलोक पहुंचा दिया, कितने ही असुरों को उसने पास में बांधकर पृथ्वी पर धर घसीटा, कितनों को अपनी तलवार से टुकड़े-टुकड़े कर दिए कई दैत्य मूसल की मार से घायल होकर रक्त वामन करने लगे तथा अंत में उसे भी मार डाला। इस तरह महिषासुर का वध हुआ और सभी देवता माता की स्तुति करने लगे जिससे प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें आगे भी मुसीबत में याद करने पर आने का वादा किया।
ब्रह्मचारिणीः मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप
Shardiya Navratri Second Day Fast- माता ब्रह्मचारिणी जी का यह स्वरूप भक्तों और शिव भक्तों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तब त्याग वैराग्य सदाचार संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उनका मन दृढ़ रहता है। तथा कर्तव्य पद से विचलित नहीं होता, दुर्गा पूजा की दूसरे दिन इन्हीं के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है, जिनका व्यवहार तय हो गया है लेकिन अभी शादी नहीं हुई है। इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन करने के पश्चात भोजन कर वस्त्र आदि भेंट किए जाते हैं। ऐसा करने से भक्तों के मन की इच्छा पूरी होती है।
ऐसे करें माता ब्रह्मचारिणीः की पूजा (Shardiya Navratri Second Day Fast) Newzzadda.com Hapur
Shardiya Navratri Second Day Fast- मां ब्रह्मचारिणी को खुश करने के लिए आपको चीनी और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। माता रानी को प्रसन्न करने के लिए शुद्ध मन से पूजा तथा गुड़हल और कमल अर्पित करने चाहिए क्योंकि माता को यह दोनों फूल बहुत ही पसंद है। पूजा करते समय माता ब्रह्मचारिणी के लिए ‘या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारी रूपेश संसिथान। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए तथा माता ब्रह्मचारिणी को हरा रंग पसंद है तो इस दिन हरे रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करे।